NLU: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है और सरकार का लक्ष्य 350-400 परिचालन हवाई अड्‌डे विकसित करना है। - Sandhya Today

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12/04/2025

NLU: भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है और सरकार का लक्ष्य 350-400 परिचालन हवाई अड्‌डे विकसित करना है।

जैसे-जैसे भारतीय विमानन क्षेत्र अभूतपूर्व वृ‌द्धि और परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, एक उत्तरदायी और दूरदर्शी कानूनी ढांचे की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, Aviakul Group of Companies ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के सहयोग से दो दिवसीय "Emerging Trends In Aviation MRO Industry (EAMRO 2025)" और प्रथम अंतरराष्ट्रीय विमानन विधि सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में विमानन उ‌द्योग के विशेषज्ञों, विधि क्षेत्र की प्रतिष्ठित शख्सियतों, सरकारी अधिकारियों, छात्रों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत दीप प्रज्वलन और माननीय न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा को स्मृति चिन्ह भेंट करके तथा प्रो. सही पॉल ‌द्वारा श्री वैभव वरुण का सम्मान करके की गई।


एनएलयू दिल्ली के कुलपति प्रो. (डॉ.) जी. एस. बजपेयी ने अपने उ‌द्घाटन भाषण में भारत के विमानन क्षेत्र के तीव्र विकास को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार बन चुका है और सरकार का लक्ष्य 350-400 परिचालन हवाई अड्‌डे विकसित करना है। उन्होंने विमानन को आर्थिक विकास का प्रमुख इंजन बताया और सततता पर बढ़ते ध्यान का उल्लेख किया। UDAN और Digi Yatra जैसी पहले विमानन को सुलभ, व्यावहारिक और यात्री केंद्रित बना रही हैं। साथ ही उन्होंने Make In India पहल, भारतीय वायुवाहन अधिनियम और PIAO विधेयक के परिप्रेक्ष्य में बदलते विधिक ढांचे पर गहन चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सम्मेलन का एक प्रमुख परिणाम एक समेकित नीति दस्तावेज तैयार करना बताया, जिसे भारत सरकार को सौंपा जाएगा।


Aviakul के प्रबंध निदेशक श्री वैभव वरुण ने अपने स्वागत भाषण में सम्मेलन के उ‌द्देश्य को इंजीनियरों और विधिवेताओं को एक साझा मंच पर लाकर विमानन क्षेत्र के समुचित विकास हेतु सहयोग बढ़ाना बताया।


माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार मिश्रा, सम्मेलन के मुख्य अतिथि, ने भारत के विमानन इतिहास की चर्चा करते हुए 1932 में टाटा एयरलाइंस से आरंभ हुए सफर की झलक दी। उन्होंने Aircraft Act, 1934 और Aircraft Rules, 1937 जैसे कानूनों की ओर इशारा करते हुए, तकनीकी बदलावों के साथ विधिक ढांचे में बदलाव की आवश्यकता जताई। उन्होंने जेंडर भेदभाव और यात्री अधिकारों पर न्यायिक हस्तक्षेप के उदाहरण प्रस्तुत किए और कहा कि साइबर सुरक्षा, डेटा संरक्षण, वैश्विक व्यापार नियमों और पर्यावरणीय मु‌द्दों जैसे उभरते विषयों पर संवेदनशीलता जरूरी है।


प्रो. (डॉ.) स्ही पॉल, रजिस्ट्रार, एनएलयू दिल्ली ने भारतीय वायुवाहन अधिनियम और PIAO विधेयक की पृष्ठभूमि में इस सम्मेलन के आयोजन को समयानुकूल बताया।


पहले दिन का उ‌द्घाटन पैनल सत्र नियामक परिदृश्य चुनौतियों और अवसर विषय पर था, जिसमें प्रो. (डॉ.) जी. एस. सचदेवा, श्री अजय खरबंदा, प्रो. (डॉ.) संदीपा भट्ट ने भाग लिया और श्री अजय कुमार (KLA Legal) ने संचालन किया।


प्रो. सचदेवा ने Montreal और Warsaw संधियों के तहत यात्री उत्तरदायित्व पर प्रकाश डाला और मानसिक उत्पीड़न


व यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में मुआवजे की कमी की और ध्यान दिलाया।


प्रो. भट्ट ने विधायी परिवर्तनी, जैसे भारतीय वायुवाहन अधिनियम 2024 और PIAO विधेयक पर चचर्चा की और भारत की ड्रोन नीति तथा वैश्विक व्यापारिक दृष्टिकोण में संतुलन की आवश्यकता पर बल दिया।


श्री खरबंदा ने हवाईअड्‌डों के वित्तीय मु‌र्दा और नियामकीय ढांचे में स्थिरता की कमी पर चिंता व्यक्त की।


दूसरा पैनल सब "भारत 2047 - एक वैश्विक विमानन लीजिंग केंद्र' विषय पर था। श्री विनम लॉगानी (SGI) Aviation) ने संचालन किया, और विशेषों में डॉ. अखिल प्रसाद (Boeing India), श्रीमती अंकिता कुमार (Shardul Amarchand Mangaldas), श्री ऋषिराज बरुआ (AZB & Partners) शामिल थे। उन्होंने विमानन लीजिंग में भारत की भूमिका, GIFT City, कर प्रोत्साहनों, और Cape Town Corvention के कार्यान्वयन पर चर्चा की।


तीसरे पैनल सत्र "जेंडर्ड स्काईज विमानन में लैंगिक असमानता पर चर्चा में डॉ. एंड्रिया ट्रिमार्थी, श्रीमती पूनम चावना, श्रीमती रिया सोनी और श्रीमती सुनीता दत्ता शामिल थीं। चर्चा में ICAO और EU योजनाओं, भारत में महिलाओं की स्थिति, और भविष्य के लिए लिंग-संवेदनशील प्रशिक्षण एवं नीति निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया गया।


दिन का समापन शोधार्थियों और छात्रों के पेपर प्रस्तुतियों के साथ हुआ। पेपर्स में नागरिक और सैन्य विमानन में लैंगिक असमानता, एयर इंडिया की विरासत, और लिंग समानता में कानूनी बाधाओं को रेखांकित किया गया।


दूसरा दिन - चौथा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एविएशन MRO उद्‌द्योग में उम्ररते रुझान


दूसरे दिन की शुरुआत सम्मान समारोह से हुई, जहां श्री वैभव वरुण ने प्रो. जी. एस. बजपेयी का सम्मान किया, और फिर Gp. Capt. जौदीजी युगंधर का अभिनंदन किया गया।


Gp. Capt. युगंधर ने कहा कि भारत के पास 2000 से अधिक विमान हैं, लेकिन वैश्विक MRO बाजार में केवल 1% हिस्सेदारी है। उन्होंने OEMS के IPR मु‌द्दा, नियमों के पालन, और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना से सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।


प्रो. बजपेयी ने MRO को भारत के रणनीतिक विकास का एक प्रमुख घटक बताया और कहा कि Al, predictive maintenance, और blockchain जैसी तकनीकों के साथ कानूनी ढांचे को समायोजित करना होगा। उन्होंने एक समर्पित Aerospace रोडमैप, प्रशिक्षण सुधार और नौति समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।


पहला पैनल सत्र "इंजन MRO चुनौतियों और आगे का रास्ता विषय पर था, जिसका संचालन कर्नल के. वी. कुबेर (सेवानिवृत) ने किया। पैनल में अशोक गोपीनाथ (GMR), अश्वनी आचार्य (Indamer), जेटेन्द्र गवांकर (Safran), और आर. एस. ठाकुर (AIESL) शामिल थे। चचर्चा में इंजन MRO में स्किल गैप, FDI की आवश्यकता IP अधिकार Right to Repair, और डेटा संप्रभुता पर गहन विमर्श हुआ।


फायर्साइड पैट "क्या हम टेक्नोलॉजिकल रूप से तैयार हैं?" में श्री शरद अযবান (CEO, Al Engineering Services Ltd.) ने श्रीमती पूनम चावला से संवाद किया। उन्होंने भारत की 50% तकनीकी पिछड़ापन स्वीकार करते हुए डेटा सुरक्षा, Al, 107, और स्किल अपग्रेड की आवश्यकता पर बल दिया।


ड्रोन और अपरिकलिंग पर सेशन में श्री अमन जौहरी (CEO, Jatayu Unmanned Systems), जेफ्टिनेंट महबूब एम. और श्री अर्मन जेबडेल (Aircraft Academy, फ्रांस) समेत कई प्रमुख वक्ता शामिल हुए। थचर्चा में 30 प्रिंटिंग, AR/VR, IoT जैसी नई तकनीकी और संस्थागत प्रशिक्षण की गुणवता सुधारने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

सम्मेलन का समापन Sparkle Dance Academy द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति और श्री वैभव वरुण ‌द्वारा सभी अतिथियों, प्रायोजकों और आयोजकों के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ। यह दो दिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक शिक्षा, उ‌द्योग और सरकार को एक मंच पर लाकर विमानन क्षेत्र के कानूनी भविष्य पर एक नीति दस्तावेज की दिशा में ठोस कदम सिद्ध हुआ।

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