राष्ट्र सृजन अभियान: स्वतंत्रता संग्राम के स्वप्नों को साकार करता एक जनांदोलन
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सुभाष शर्मा |
जब कोई राष्ट्र अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को सहेजता है, तब वह केवल इतिहास नहीं दोहराता—वह भविष्य की नींव रखता है।
ऐसा ही एक संगठित प्रयास है "राष्ट्र सृजन अभियान", जिसकी स्थापना महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दादा श्री बाबू रामविलास सिंह जी ने अपने जीवनकाल में की थी।
इस अभियान का उद्देश्य केवल स्मरण या श्रद्धांजलि तक सीमित नहीं, बल्कि उन बलिदानी क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाना है,
जिनकी रगों में राष्ट्र के लिए समर्पण बहता था—मंगल पांडे, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाबू कुंवर सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अनगिनत अमर योद्धा।
एक सपना: राष्ट्रवाद से रामराज्य तक
राष्ट्र सृजन अभियान की आत्मा है—राष्ट्रवाद।
यह संगठन मानता है कि भारतवर्ष का नव निर्माण तभी संभव है जब देश के नागरिक जाति, धर्म, वर्ग, भाषा, क्षेत्रीयता जैसे भेदों से ऊपर उठकर "भारतवासी" बनें।
दादा श्री बाबू रामविलास सिंह जी का सपना था:
बेरोजगारी मुक्त भारत
शिक्षा और स्वास्थ्य की समान उपलब्धता
दहेज और जातिवाद मुक्त समाज
हर व्यक्ति को न्याय और सम्मान
उन्होंने केवल आंदोलन नहीं किया, बल्कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी जनचेतना का एक ध्वज थामे रखा—जिसका नाम था "राष्ट्र सृजन अभियान",
जो बाद में विस्तारित होकर "राष्ट्र जन अभियान" के रूप में देशभर में फैलता गया।
संघर्ष से स्वराज की ओर
दादा श्री बाबू रामविलास सिंह जी ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी।
उन्होंने समाहरणालय से यूनियन जैक का झंडा उतारकर स्वराज का तिरंगा लहराया।
ब्रिटिश हुकूमत को सीधी चुनौती दी, जेल गए, संघर्ष किए—क्योंकि उनके लिए आज़ादी केवल शासन परिवर्तन नहीं,
बल्कि न्याय, समानता और आत्मनिर्भरता से युक्त भारत का निर्माण था।
बिहार: चार क्रांतियों की धरती
बिहार भारत की क्रांति भूमि रही है, जहाँ समय-समय पर चार ऐतिहासिक आंदोलनों ने जन्म लिया:
1. गदर क्रांति – 1857 की पहली क्रांति, जिसमें शहीद मंगल पांडे ने ज्वाला प्रज्वलित की।
2. अगस्त क्रांति – 1942 में "भारत छोड़ो आंदोलन", जिसने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ें हिला दीं।
3. संपूर्ण क्रांति – जयप्रकाश नारायण द्वारा 1974 में शुरू हुआ जनजागरण आंदोलन।
4. सृजन क्रांति – स्वतंत्र भारत में राष्ट्र निर्माण, सामाजिक समानता और न्याय के लिए चलाया गया आंदोलन,
जिसके प्रणेता स्वयं दादा श्री बाबू रामविलास सिंह जी रहे। सृजन क्रांति", वास्तव में स्वतंत्र भारत के भीतर न्याय, आत्मबल और राष्ट्रभक्ति का पुनर्जागरण थी
संस्थापक और सहयोगी: एक समर्पित टोली
इस अभियान की नींव में केवल दादा रामविलास सिंह जी ही नहीं, बल्कि कई समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, समाजसेवी और शिक्षाविद भी जुड़े रहे, जिन्होंने राष्ट्र सेवा को जीवन का लक्ष्य बनाया।
इनमें प्रमुख नामों में—पं. शिवनंदन मिश्र, बाबू ध्रुव नारायण सिंह, डॉ. महेश्वर सिंह आदि जैसे सहसंस्थापक और विचारशील मार्गदर्शक शामिल हैं, जिन्होंने शिक्षा, ग्रामीण सशक्तिकरण और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण में ऐतिहासिक भूमिका निभाई।
वर्तमान में राष्ट्र निर्माण का अभियान
आज यही आंदोलन डॉ. प्रदुमन कुमार सिंह जी के नेतृत्व में पूरे भारतवर्ष में सक्रिय है।
भारत के 29 राज्यों से लेकर विदेशों तक यह अभियान राष्ट्रप्रेम, संस्कृति, विरासत और सामाजिक चेतना का दीपक जलाए हुए है।
युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान हेतु सम्मानित किया जा रहा है
नारी शिक्षा, कन्या विवाह, एवं समाजसेवा के विविध कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं
स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में भव्य आयोजनों द्वारा नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ा जा रहा है
एक धर्म—राष्ट्र प्रेम
राष्ट्र सृजन अभियान का एक ही धर्म है—राष्ट्र धर्म।
यह संगठन राजनीति से परे है, जाति-पांति के पार है।
यहाँ न कोई ऊँच है, न नीच। केवल एक पहचान है—हम हिंदुस्तानी हैं।
यह केवल उपन्यास नहीं—एक क्रांति है..
यह अभियान केवल संस्था नहीं, एक विचार है।
यह उन सपनों की गठरी है जो हमारे पुरखों ने अपने लहू से सिली थी।
यह अभियान हर भारतवासी से कहता है: उठो जागो और तब तक मत रुको,जब तक भारत अखंड, समरस और समुन्नत न हो जाए
"जहाँ बुझते सपनों में संजीवनी बने विचार—वहाँ जन्म लेते हैं रामविलास जैसे सृजनकार!"
"रामविलास है वह प्रकाश, जहाँ अंधेरे भी पिघलते हैं राष्ट्र निर्माण के उजास में।"
लेखक :सुभाष शर्मा जहानाबाद
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