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Delhi Elections : चुनावी मझधार में फ्लोटिंग वोटर्स पर बजट का चप्पू, घोषणाओं ने दिल्ली के मतदाताओं पर डाले डोरे

केंद्रीय बजट का दिल्ली विधानसभा चुनाव से बेशक कोई सीधा ताल्लुक नहीं है, लेकिन चुनावी मझधार में मतदान से चार दिन पहले आए बजट के सियासी मायने काफी अहम हैं। खासतौर से आयकर का स्लैब 12 लाख करने का असर मध्य वर्ग पर पड़ेगा। वहीं, युवाओं, बुजुर्गों समेत अस्थायी तौर से अनुबंध पर काम करने वाले गिग वर्कर्स और रेहड़ी-पटरी के कामगारों को भी बजट से राहत मिली है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि इस बजट का असर आखिरी समय में पार्टी विशेष को अपना वोट देने का मन बनाने वाले मतदाताओं पर पड़ेगा। बजटीय प्रावधानों का असर फ्लोटिंग वोटर पर पड़ सकता है। कैडर वोट के इससे ज्यादा प्रभावित होने की उम्मीद नहीं है।


दरअसल, वर्ष 2014 से दिल्ली का सियासी ट्रेंड एक लाइन पर है। दिल्लीवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली भरते हैं तो विधानसभा में आम आदमी पार्टी की। 2014, 2019 व 2024 लोकसभा चुनाव में सातों सीटें भाजपा के खाते में गई हैं। वहीं, 2015 व 2020 विधान सभा चुनाव में 50 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर आप ने जीत हासिल की। इस तरह के बदलाव में जितने वोट इधर से उधर होते हैं, विशेषज्ञ उसे फ्लोटिंग वोटर मानते हैं। यह किसी पार्टी के कोर वोटर नहीं होते। इसकी प्रतिबद्धता पार्टी विशेष को लेकर नहीं रहती।

इस तरह के वोटर वोट करने से पहले ही तय करते हैं कि उनको अपना वोट किस पार्टी को देना है। इसमें बड़ी आबादी मध्यम वर्ग की है। 2015 से अब तक के चुनावी आंकड़ों से पता चलता है कि विधानसभा चुनाव में आप को वोट देने वाले 10-15 फीसदी वोटर लोकसभा में भाजपा के पाले में चले जाते हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ जाता है। दूसरी तरफ भाजपा को कोर वोटर हमेशा उसके साथ रहता है। इसका आंकड़ा करीब 33 फीसदी बैठता है। इस सियासी अंक गणित में फ्लोटिंग वोटर्स का पार्टी विशेष के पक्ष में जाना नतीजों में बड़ा उलटफेर कर सकता है।


वोटर पर पड़ सकता असर
अलग-अलग तबके को केंद्रीय बजट से जो राहत मिली है, उसका दिल्ली चुनाव पर क्या असर होगा, इस पर स्पष्ट तौर पर कहना अभी ठीक नहीं है। फिर भी, फ्लोटिंग वोटर्स इससे अपना मन बना भाजपा की पक्ष में कर सकते हैं। गिग वर्कर्स, रेहड़ी-पटरी समेत दूसरे कई वर्गों पर यह बजट असर डालेगा। मध्य वर्ग तो खासतौर पर प्रभावित होगा, जिसके लिए आयकर मायने रखता है। हालांकि, इसमें भी केंद्र सरकार जल्द ही नया वेतन आयोग गठित करने जा रही है, उसमें वेतन बढ़ेगा ही और उससे बढ़ी आयकर सीमा उतनी असरदार नहीं होगी, जितनी अभी दिख रही है।


आयकर में छूट से बनेगा नैरेटिव


सियासी तौर से आयकर में छूट बहुत बड़ा गेम चेंजर नहीं रही है, लेकिन इससे नैरेटिव जरूर तैयार होता है। मध्य वर्ग को लगता है कि उसे बड़ी राहत मिल रही है। इसका असर फ्लोटिंग वोटर्स पर पड़ सकता है। निम्न मध्य वर्ग व झुग्गी-बस्ती में रहने वाले वाले वे लोग जो आप के कैडर वोटर हैं, उन्हें ज्यादा इधर-उधर कर पाना इससे मुश्किल लगता है। दूसरी तरफ दिल्ली चुनाव का गेम चेंजर कांग्रेस हो सकती है। कांग्रेस का अप-डाउन नतीजों पर ज्यादा असर डालने वाला होगा।


-डाॅ. चंद्रचूड़ सिंह, प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, डीयू

बजट से बड़ी राहत

  • आयकर सीमा में 12 लाख तक की छूट
  • वरिष्ठ नागरिकों का टैक्स डिडक्शन 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये
  • यूथ के लिए स्टार्टअप और शिक्षा के लिए भी केंद्र सरकार ने पिटारा खोला
  • 500 करोड़ रुपये के खर्च के साथ शिक्षा के लिए एआई उत्कृष्टता केंद्र की होगी स्थापना
  • पीएम स्वनिधि योजना से स्ट्रीट वेंडर को फायदा पहुंचाने की कोशिश
  • लोन की सीमा बढ़ाकर 30 लाख करने का बजट में प्रस्ताव
  • गिग वर्कर्स को पहचान पत्र और ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा

दिल्ली में मध्य वर्ग
अलग-अलग एजेंसियों के सर्वे बताते हैं कि दिल्ली की आबादी का करीब 67 फीसदी मध्य वर्ग से है। वहीं, 73 फीसदी लोग प्राइवेट नौकरी करते हैं। दूसरी तरफ यहां की प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख रुपये है। वहीं, रेहड़ी-पटरी और गिग वर्कर्स की संख्या का कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं है। फिर भी, दिल्ली में इनकी बड़ी आबादी निवास करती है। निचले तबके से ताल्लुक रखने वाले इस तबके का वोट भी चुनावों पर असर डालता है।


बिहार से जुड़े वोटर भी हो सकते हैं प्रभावित
विशेषज्ञ बताते हैं कि बजट में बिहार के लिए जो पांच बड़ी घोषणाएं की गई हैं, उनका असर दिल्ली में रहने वाले उन वोटर पर पड़ सकता है, जिनका ताल्लुक बिहार से है। इसमें वे वोटर अहम होंगे, जिनका बीते वर्षों में दिल्ली आना हुआ है। वे खुद दिल्ली में रहते हैं, जबकि उनका परिवार बिहार में है।


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