स्वतंत्रता संग्राम के महानायक "दादा श्री" बाबू रामविलास सिंह जी सन 1899 से 1994
" जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जाएंगे हम हे जमीं एक दिन तेरी खुराक हो जाएंगे हम
भारत भूमि इतनी जाखेज़ भूमि है कि जब-जब इस थए- धाम पर अत्याचार बढ़ता है. तो उसका नाश कहने के लिए कोई न कोई महापुरुष अवतार ले ही लेता है। भगवान श्रीकृष्ण का वो कथन सत्य होता रहता है कि "यदा यदा हि धमस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्यत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम । परित्राणाय साधूनाम विनाशाय च दुष्कृताम धर्मसंस्थापनाचीन सम्भवामि युगे युगे ।। कुछ इसी तरह देश के स्वतंत्रता में सर्वख समपर्ण कर देने वाले बलिदानियों में एक नाम आता है बाबू रामविलास सिंह का जो सन 1899 में एक किसान परिवार में अवतरित हुए। बिहार के जहानाबाद जिले के मलमपुर रेलवे स्टेशन हो ही किसी मीटा दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. खलकोजक खल कोचक का है जो दुष्टों पर अंकुश लगाने बिलकुल एक पवित्र शाम अर्थ ही होता का काम करे। यथा नाम तथा गुण को चरितार्थ करते हुए यह गाँव स्वतंत्रता संग्राम के लिए बाबू एमविलास एक जैसे 'सिंह' को जन्म दिया। जिसकी जजना के अंग्रेजी सरकार सरकार की नीव हिला दी। दुबला-पतला और कर्ण और सर पर आँधी टोपी। बर जो बादी वस्त्र धारण किया तो फिर जीवन पर्यंत छोड़ा नहीं। महात्मा गाँधी के असहयोग आंडोसन के बाद, 1923 ई० में लगान का विरोध करनेवाला आंदोलन इनके नेतृत्व में हुआ। इस कारण इन्होंने एक अलग रखी। पाहचान बनाकर अनवरत लड़ाई जारी
आजादी की लड़ाई में पहली बार से 1932 ई॰ में दो माह के लिए जेल भी गए। गया पदाधिकारी ने अंग्रेजों के खिलाफत देशद्रोह के जुर्म में सक्षम दो माह के कारावास की सजा दी 2 फरवरी से 31 अप्रैल 1932 ई॰ तक के केन्द्रीय कारागार गया में रहे। अंग्रेजों इन्हें पुन: खिलाफत आंदोलन के अंतर्गत देशद्रोह के जुर्म में कुछ ही माह बाद 26 जनवरी 1933 ई० मी गिरफ्तार कर लिया तथा केन्द्रीय कारागार गया में भेज दिया। जेल से रिहा होने के बाद वे और भी तीव्र गति से वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गऐ 1942 ई॰में भारत छोड़ो आंदोलन के क्रम मे शीघ्र आन्दोलन के संपर्क में आने का अवसर मिला। अगस्त आन्दोलन के क्रम में गया कलेक्टेरिट पर झंडा फहराने का निर्णय लिया गया जिस का नेतृत्व एम विलास बाबू ने अपने हाथों में लिया । केशव माही की कलेक्टेरियट के छत पर चुपके से पहले ही चढ़ा दिया गया था। सही समय आने पर अंग्रेजी प्रशासन का झण्डा 'यूक्लिन जैक' हटाकर उसकी जगह स्वराज का झण्डा फहरा दिया हटाए गए यूनियन जैक हो रामविलास बाबू ने लपक लिया जी आज भी राष्ट्र सृजन अभियान के पास अमूल्य निधि के रूप में सुरक्षित है। दनादन गोलियाँ चलने लगी। जानकी कुंज के चक्रपाणि जी का नौजवान बेटा उस अभियान में शहीद हो गया। रामविलास बाबु के पैर में भी गोली लगी घायल अवस्था में चौदह (14) दिनों तक विष्णु पद नाले में पड़े रहे। शिक्षा संस्थाओं के रूप में त्प्राथमिक विद्यालय बालकोजक मखदुमपुर, उच्चविदयालयों, संस्कृत विद्यालय वं अनेक महाविद्यालयों की स्थापना में सहयोग किया।
तो आइए हम उनके पदचिन्हों पर चल कर देश की प्रति प्रगति मे अपना योग दान देने वाले और प्रद्युम्न बाबू की ओर चलते है समाज में चेतना जागृत करना वर्तमान समय में राष्ट्रीय भक्ति का उदाहरण सिद्ध होगा ऐसा कोई भी कृत्य जिससे देश की प्रगति वाधित हो करना राष्टद्रोह है देश के चौमुखी विकाश के महासागर में एक बूँद का औदान भी देशभक्ति का संयोजन सिध्द होगा डा॰ प्रदुम्न कुमार सिंहा का भी अवदान महत्वपूर्ण कहा जा सकता है
"बढ़ई पूत पिता के धर्मा " के अनुरूप डा॰सिन्हा और स्वतंत्रता सेनानी रामविलास बाबू के इकलौते पुत्र स्वर्गीय रामप्रताप शर्मा का जन्म 20 जनवरी 1965 को मखदुमपुर प्रखंड, ग्राम विलोचक, जिला (जहानाबाद), बिहार राज्य में एक सुयोग्य बालक के रूप में हुआ। उनके जीवन पर दो पीढ़ियों का प्रभाव भी पूरी तरह स्पष्ट है। बालक की जन्म कुंडली में संकेत था कि वह देश-विदेश में प्रसिद्ध होगा और पारिवारिक ज्योतिषी ने भी जन्म लेते ही अन्य बातों के बारे में भविष्यवाणी कर दी थी। प्रद्युम्न नाम उसी का प्रभाव है।
हिंदी को संविधान की राष्ट्रभाषा बनाने के प्रयास जारी हैं। उनके अनुसार, एक नए सर्वेक्षण में हिंदी राष्ट्र में ज्ञात दूसरी सबसे बड़ी भाषा है। सिन्हा जी, हिंदी को विश्वगुरु बनाने के लिए सबसे पहले हिंदी को विश्व भाषा घोषित करना होगा। जिस देश की भाषा समृद्ध होजाती है, वह देश अपने आप समृद्ध हो जाता है। आज आपको यह जानकर खुशी होगा कि हिन्दी बिश्व के लगभग 100 देशों में पढ़ी बोली एव समझी जाती है सिन्हा जी हिन्दी माता अनन्य भक्त ही नहीं उसके संयोजक के रूप में सदेव तात्पर्य एव सजग प्रहरी के रूप में कार्य कर रहे है
राष्ट्र सूजन अभियान के संस्थापक * दादाश्री" बाबु रामबिलास सिंह जी के मुल मंत्र Better Me - Batter We- Better Bharat-Better world पर चलकर प्रद्युम्न बाबु आज देश को विश्वगुरु बनाने तथा सत्य सनातन की स्थापना में लगे हुए हैं। वे गीता के आदर्श वाक्य न दैन्ये न पलायनम को जीवन का आदर्श बनाकर राष्ट्र की प्रगति में सदैव तत्पर है उनका कथन है कि राष्ट्र का गौरव तभी जगत रहता है जब वह अपने स्वाभिमान और बलिदान को परमाराओं को अगली पीढ़ी को सिखाता है संस्कारित करता है, उन्हें इसके लिए निरंतर प्रेरित करता है किसी राष्ट का भभीष्य तय होता है अपने स्वभिमान और बलिदान जागत को सिखाता है, संस्कारित इसके लिए निरंतर प्रेरित कला है। किसी राष्ट्र का भविष्य होता है जब ने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल-पल जुडा रहता है। फिर भारत के लिए गर्व करने के लिए अचाह भंडार है समृद्ध इतिहास है चेतनामय संस्कृति विरासत है इसलिए आजादी के 75 साल का थे अवसर एक अमृत की तरह वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होगा एक ऐसा अमृत जो हमे प्रतिपल देश के लिए करने को प्रेरित करेगा
जो भरा नहीं है भाओ से बहती जिसमे रसधार नहीं वह दृश्य नहीं है पत्थर है जिनमे सौदर्श का प्यार नहीं
मैं अपनी कलम को यही मुखसर करते हुए समस्त जन्ता - जनार्दन को गुजारिश करता हूँ कि हम सब मिलका इस अपनी राष्ट्र सूजन अभियान रूपी यज्ञ में अपनी कर्म रूपी आहुति होम करे