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Uttar Pradesh Noida:- तिरुवातिरा केरल का एक प्रमुख और पवित्र उत्सव है, जो संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम

तिरुवातिरा केरल का एक प्रमुख और पवित्र उत्सव है, जो संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम

तिरुवातिरा केरल का एक प्रमुख और पवित्र उत्सव है, जो संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। यह पर्व मुख्य रूप से हिंदू महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और मलयालम कैलेंडर के धनु मास (दिसंबर-जनवरी) में तिरुवातिरा नक्षत्र के दिन पड़ता है। यह उत्सव भक्ति, परंपरा और सामुदायिक आनंद का प्रतीक है।

Thiruvathira is a major and sacred festival of Kerala, which is a unique confluence of culture and spirituality.
तिरुवातिरा -फोटो संध्या टुडे

पौराणिक महत्व

तिरुवातिरा पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। इसे कामदेव की कथा से भी जोड़ा जाता है, जिन्हें भगवान शिव ने भस्म कर दिया था और फिर देवी रति के आग्रह पर जीवनदान दिया। यह पर्व प्रेम, वैवाहिक सौहार्द और आध्यात्मिक नवीनीकरण का प्रतीक है।


अनुष्ठान और परंपराएं

1️⃣ व्रत: महिलाएं इस दिन तिरुवातिरा व्रतम नामक उपवास रखती हैं। वे चावल का सेवन नहीं करतीं और केवल फलों व पारंपरिक व्यंजनों जैसे एट्टांगडी (कंद-मूल जैसे सूरन व शकरकंद से बने व्यंजन) का सेवन करती हैं। यह व्रत वैवाहिक सुख व समृद्धि के लिए किया जाता है।


2️⃣ तिरुवातिराकली: इस उत्सव का मुख्य आकर्षण तिरुवातिराकली या कैकोट्टिकली नृत्य है। महिलाएं पारंपरिक केरल परिधान पहनकर दीपक के चारों ओर गोलाकार नृत्य करती हैं और भगवान शिव व पार्वती की स्तुति में लोक गीत गाती हैं।


3️⃣ सुबह की स्नान परंपरा: तिरुवातिरा के दिन महिलाएं सुबह-सुबह नदी या तालाब में स्नान करती हैं, जो शरीर व मन की शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।


4️⃣ प्रार्थना और पूजा: इस दिन भगवान शिव के मंदिरों में जाकर विशेष पूजा व अभिषेकम किया जाता है। भक्त अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं।


5️⃣ विशेष व्यंजन: तिरुवातिरा पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें कूवा पायसम (अरारोट की खीर) और कंद-मूल से बने अन्य व्यंजन शामिल हैं। यह भोजन स्वास्थ्य और सादगी का प्रतीक है।

Thiruvathira is a major and sacred festival of Kerala, which is a unique confluence of culture and spirituality.
तिरुवातिरा -फोटो संध्या टुडे

संस्कृति का उत्सव

तिरुवातिरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि केरल की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव भी है। नृत्य, लोक गीत और सामुदायिक आयोजन एकता और खुशी का माहौल बनाते हैं। यह महिलाओं के बीच आपसी स्नेह और एकता को मजबूत करता है।


निष्कर्ष

तिरुवातिरा परंपरा, भक्ति और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का अद्भुत संगम है। यह प्रेम, त्याग और एकता के मूल्यों को सुदृढ़ करता है। इस पर्व को मनाकर न केवल लोग अपनी आध्यात्मिक आस्थाओं को सम्मान देते हैं, बल्कि केरल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोते हैं।

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